Sahil Etawi
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Friday, August 24, 2012
Thursday, August 9, 2012
Wednesday, October 19, 2011
Tuesday, March 29, 2011
बीमारी नहीं जाती
अजब है हाल अपना अपनी बीमारी नहीं जाती
कि सब कुछ छोड़ देने पर भी खुद्दारी नहीं जाती
ये उनका काम है फिरकापरस्ती छोड़ दें कैसे
वो कोशिश लाख कर लें उनकी ग़द्दारी नहीं जाती
वो बूढा शख्स अपनी जान तक नीलाम कर आया
नहीं मालूम ऐसे घर की दुशवारी नहीं जाती
फ़क़त पानी पिला उसने सुलाया अपने बच्चों को
वो आंसू रोक ले पर उसकी सिसकारी नहीं जाती
उठाकर हाथ सरहद पे किसी ने लफ्ज़ दोहराया
खुदाया क्या ग़ज़ब है क्यूँ ये बमबारी नहीं जाती
कोई आये न आये हमको इससे क्या ग़रज़ साहिल
मेरी फितरत मैं शामिल है ये गमख्वारी नहीं जाती
साहिल इटावी
Tuesday, February 15, 2011
अब मुझे अच्छा नहीं लगता
किसी को यूँ डराना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
तुम्हारा मुस्कुराना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
ज़हन में कुछ ज़बाँ पे कुछ अजब दिल की रवादारी
तुम्हारा मुँह चुराना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
जिन्होंने मुल्क को आज़ादी की रह पर चलाया है
निशाँ उनके मिटाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
भरम पाले हैं शायद कोई उनके काम आ जाए
भरम उनका मिटाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
फ़सल दहकाँ की अपने नाम कर जो घर में बैठे हैं
वो उनका आशियाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
निवाला जिसमें लिपटा हो किसी का खून ए साहिल
वो ऐसा आब-ओ-दाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
साहिल इटावी
Wednesday, January 12, 2011
FAKHR
ए शहीदो तुमने न की फिक्र अपनी जान कीकी हिफाज़त मुल्क की , शान रख ली आन कीहमको बेशक नाज़ तुम पर और तुम्हारे जज्बे परउठ रही हर सू यही आवाज़ हिंदुस्तान की
Thursday, December 30, 2010
Monday, December 20, 2010
जज़्बात
किसी मज़लूम के मुँह का निवाला छीन मत लेना,
जो निकली आह तो तेरा मुक़ददर भी बदल देगी
सबक इसका तुझे मिल जायेगा इक दिन यक़ीनन
तड़पती ज़िन्दगी जब फिर तेरा चेहरा बदल देगी
Thursday, December 9, 2010
उम्मीद
जज़्बात बेख़ुदी की तरफ क्या करूँ नज़र
अपनी ही ज़िन्दगी से हुआ जब मैं बेखबर
बंदिश कभी न थी, न अब भी है साहिल
लम्बा है क्या हुआ है करना है तय सफ़र Thursday, November 25, 2010
Friday, November 5, 2010
Tuesday, September 28, 2010
Thursday, August 5, 2010
:: गज़ल ::
है फिज़ूल सारी वह तोहमतें, मेरा यार यारों का यार है
याद उसकी दिल का सुकून है और दीद दिल का क़रार है
तेरा काम औरों से है अलग, तेरी शान औरों से है जुदा
तेरा नाम सबसे है आला-तर, तेरी जुस्तुजू में बहार है
जो अता किया कम नहीं, जो न मिल सका उसका ग़म नहीं
ये बड़े नसीब की बात है, मेरा नाम उसमें शुमार है
है ये तेरे इश्क की इब्तिदा, जैसे पास कोई हो मैक़दा
न उतर सका जो आज तक, चढ़ा ऐसा मुझको ख़ुमार है
ऐ चमन को फूंकने वालों तुम, कहीं न हो जाओ हवा में गुम
ये मेरे सबर की है इंतिहा , न यह फूट जाए गुबार है
ये हैं उनके अपने ही मशविरे, कोई कैसे इन पे अमल करे
उनका सोच उनका जुनून है, मेरा सोच मेरा वक़ार है
जो कभी थे वक़्त के शहंशाह, है न आज उनका कोई पता
न कहीं हैं उनकी वह अस्थियाँ, न कहीं पे उनका मज़ार है
-- साहिल इटावी
Thursday, December 31, 2009
Happy New Year "2010"
दिल मिल सकें सभी के कुछ ऐसा पयाम दे
नफ़रत न हो कहीं पे सुकून सुबह शाम दे
नफ़रत न हो कहीं पे सुकून सुबह शाम दे
पुरअम्न हो वतन कहीं दहशत न हो ज़रा
मेरी दुआ है साल यह खुशियाँ तमाम दे
नया साल बहुत बहुत मुबारक हो
- साहिल इटावी
Tuesday, December 15, 2009
दर्द - ए - दिल
दर्द - ए - dil
" कश्तियों को न रोको अब इन्हें जाने भी दो
ये समंदर की मोहब्बत के लिए बेचैन हैं "
ग़ज़ल
अपने ख़याल दिल से निकलने तो दीजिये
बेताब परिंदों को चहकने तो दीजिये
अरसे से आँख नम है मेरी उनकी याद में
ये अश्क मेरे आज छलकने तो दीजिये
दीदार की तलब है तो नज़रें जमा के रख
रुख से ज़रा नक़ाब सरकने तो दीजिये
तक़सीम करने वालों को मिल जायेगा सिला
ये आग दिल में और दहकने तो दीजिये
मेरा वतन गुलिस्ताँ है मत छेड़ तू इसे
लिल्लाह इसे यूँ ही महकने तो दीजिये
रुक जायेंगे क़दम तेरे साहिल पे आके खुद
ठहरे हुए क़दम को बहकने तो दीजिये
अपने ख़याल दिल से निकलने तो दीजिये
बेताब परिंदों को चहकने तो दीजिये
अरसे से आँख नम है मेरी उनकी याद में
ये अश्क मेरे आज छलकने तो दीजिये
दीदार की तलब है तो नज़रें जमा के रख
रुख से ज़रा नक़ाब सरकने तो दीजिये
तक़सीम करने वालों को मिल जायेगा सिला
ये आग दिल में और दहकने तो दीजिये
मेरा वतन गुलिस्ताँ है मत छेड़ तू इसे
लिल्लाह इसे यूँ ही महकने तो दीजिये
रुक जायेंगे क़दम तेरे साहिल पे आके खुद
ठहरे हुए क़दम को बहकने तो दीजिये
- साहिल
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