Wednesday, October 19, 2011

Ghazab



इतना डूबा हूँ कि मुश्किल  है संभलना मेरा
क्या ग़ज़ब है तेरी आँखों का समंदर  होना 

अजल तू चन्द लम्हों के लिए एहसान कर मुझ पर
अभी कुछ ख्वाब बाक़ी हैं अभी दीदार बाक़ी है

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