Wednesday, October 19, 2011

Ghazab



इतना डूबा हूँ कि मुश्किल  है संभलना मेरा
क्या ग़ज़ब है तेरी आँखों का समंदर  होना 

अजल तू चन्द लम्हों के लिए एहसान कर मुझ पर
अभी कुछ ख्वाब बाक़ी हैं अभी दीदार बाक़ी है

Tuesday, March 29, 2011

बीमारी नहीं जाती


  
                                              
अजब है हाल अपना अपनी बीमारी नहीं जाती 
कि सब कुछ  छोड़ देने पर भी खुद्दारी नहीं जाती 

ये  उनका  काम  है  फिरकापरस्ती छोड़ दें कैसे 
वो कोशिश लाख कर लें उनकी ग़द्दारी नहीं जाती

वो बूढा शख्स अपनी जान तक नीलाम कर आया 
नहीं  मालूम  ऐसे  घर  की   दुशवारी नहीं जाती 

फ़क़त पानी पिला उसने सुलाया अपने बच्चों को 
वो आंसू रोक ले पर उसकी सिसकारी नहीं जाती 

उठाकर हाथ सरहद पे किसी ने लफ्ज़ दोहराया 
खुदाया क्या ग़ज़ब है क्यूँ ये बमबारी नहीं जाती 

कोई आये न आये हमको इससे क्या ग़रज़ साहिल 
मेरी फितरत मैं शामिल है ये गमख्वारी नहीं जाती 

                                                  साहिल इटावी

Tuesday, February 15, 2011

अब मुझे अच्छा नहीं लगता


किसी   को   यूँ   डराना   अब मुझे अच्छा नहीं लगता
तुम्हारा   मुस्कुराना  अब  मुझे   अच्छा  नहीं लगता

ज़हन में कुछ ज़बाँ पे  कुछ अजब दिल की रवादारी
तुम्हारा मुँह चुराना अब मुझे अच्छा नहीं लगता

जिन्होंने मुल्क को आज़ादी की रह पर चलाया है
निशाँ उनके मिटाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता

भरम   पाले हैं   शायद  कोई     उनके काम आ जाए
भरम उनका मिटाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता

फ़सल दहकाँ की अपने नाम कर जो घर में बैठे हैं
वो उनका आशियाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता

निवाला जिसमें लिपटा हो किसी का खून ए साहिल
वो ऐसा आब-ओ-दाना अब मुझे अच्छा नहीं लगता

                                                                       साहिल इटावी 




Wednesday, January 12, 2011

FAKHR

ए शहीदो तुमने न की फिक्र अपनी जान की
की हिफाज़त मुल्क की , शान रख ली आन की
हमको बेशक नाज़ तुम पर और तुम्हारे जज्बे पर
उठ रही हर सू यही आवाज़ हिंदुस्तान की