हसरत तुम्हारे दिल की कभी जान न सका
का़तिल तुम्हीं मेरे हो ये दिल मान न सका
ज़ख्मों को न अब और हवा दे मेरे रकीब
अफ़सोस है कि तुझको मैं पहचान न सका
का़तिल तुम्हीं मेरे हो ये दिल मान न सका
ज़ख्मों को न अब और हवा दे मेरे रकीब
अफ़सोस है कि तुझको मैं पहचान न सका
क्या करेंगे हम
जज़्बात थम गए हैं भला क्या करेंगे हम
ऐसे में फिर से शम्मा जला क्या करेंगे हम
जिसने वतन की आबरू का सौदा कर दिया
ग़द्दार आदमी का भला क्या करेंगे हम
ठोकर बहुत मिलीं मगर साहिल नहीं मिला
दुनिया ने हर कदम पे छला क्या करेंगे हम
शिकवा भी ज़िन्दगी से भला क्या करेंगे हम
खाकर क़सम गए हैं वह फिर लौट आयेंगे
ऐसे में अपने दिल को जला क्या करेंगे हम
ख़ुद के ही मामलात ने तनहा जो कर दिया
आया है ज़िन्दगी में ख़ला क्या करेंगे हम
आने की उनकी मुझको कुछ उम्मीद न रही
खाकर क़सम गए हैं वह फिर लौट आयेंगे
ऐसे में अपने दिल को जला क्या करेंगे हम
ख़ुद के ही मामलात ने तनहा जो कर दिया
आया है ज़िन्दगी में ख़ला क्या करेंगे हम
ऐसे में फिर से शम्मा जला क्या करेंगे हम
जिसने वतन की आबरू का सौदा कर दिया
ठोकर बहुत मिलीं मगर साहिल नहीं मिला
दुनिया ने हर कदम पे छला क्या करेंगे हम
साहिल इटावी
bahut khoob
ReplyDeleteDear Sahil,
ReplyDeleterealy your ghazals are very high lavel. I hope that the others collection will be marvelous.
aap ke ander itni cobliyat hai ki mai apne aap ko aap ka dost bhi kaise kahe kaha aap aur kaha hum
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeletetamnna hai ki aap jaisa shayar mein bhi ban jaaon magar aap se muqaabla bhala kya karenge hum.