अजब है हाल अपना अपनी बीमारी नहीं जाती
कि सब कुछ छोड़ देने पर भी खुद्दारी नहीं जाती
ये उनका काम है फिरकापरस्ती छोड़ दें कैसे
वो कोशिश लाख कर लें उनकी ग़द्दारी नहीं जाती
वो बूढा शख्स अपनी जान तक नीलाम कर आया
नहीं मालूम ऐसे घर की दुशवारी नहीं जाती
फ़क़त पानी पिला उसने सुलाया अपने बच्चों को
वो आंसू रोक ले पर उसकी सिसकारी नहीं जाती
उठाकर हाथ सरहद पे किसी ने लफ्ज़ दोहराया
खुदाया क्या ग़ज़ब है क्यूँ ये बमबारी नहीं जाती
कोई आये न आये हमको इससे क्या ग़रज़ साहिल
मेरी फितरत मैं शामिल है ये गमख्वारी नहीं जाती
साहिल इटावी