:: गज़ल ::
है फिज़ूल सारी वह तोहमतें, मेरा यार यारों का यार है
याद उसकी दिल का सुकून है और दीद दिल का क़रार है
तेरा काम औरों से है अलग, तेरी शान औरों से है जुदा
तेरा नाम सबसे है आला-तर, तेरी जुस्तुजू में बहार है
जो अता किया कम नहीं, जो न मिल सका उसका ग़म नहीं
ये बड़े नसीब की बात है, मेरा नाम उसमें शुमार है
है ये तेरे इश्क की इब्तिदा, जैसे पास कोई हो मैक़दा
न उतर सका जो आज तक, चढ़ा ऐसा मुझको ख़ुमार है
ऐ चमन को फूंकने वालों तुम, कहीं न हो जाओ हवा में गुम
ये मेरे सबर की है इंतिहा , न यह फूट जाए गुबार है
ये हैं उनके अपने ही मशविरे, कोई कैसे इन पे अमल करे
उनका सोच उनका जुनून है, मेरा सोच मेरा वक़ार है
जो कभी थे वक़्त के शहंशाह, है न आज उनका कोई पता
न कहीं हैं उनकी वह अस्थियाँ, न कहीं पे उनका मज़ार है
-- साहिल इटावी